Tuesday, July 31, 2018

शहीद उधम सिंह की गौरव गाथा

शहीद उधम सिंह 
नमस्कार दोस्तों ,
दोस्तों , हम आज के समय में हर एक त्यौहार को याद रखते है और उन्हें बड़े धूमधाम से भी मनाते है।  लेकिन हम उन क्रांतिकारों के बलिदानो को भूल जाते है जिनकी वजह से हमे यह त्यौहार मनाने की आजादी मिली है। 
हमारे देश में बहुत से क्रन्तिकारी हुए है जैसे की भगत सिंह , राजगुरु , सुखदेव ,चन्दर सेखर आजाद जैसे ओर भी बहुत से क्रन्तिकारी थे । इन्ही क्रांतिकारिओं में से एक क्रान्तिकार थे शहीद उधम सिंह। तो दोस्तों आज 31 जुलाई है ओर हम इसे शहीद उधम सिंह जयंती के नाम से मनाते है। तो चलिए आज हम शहीद महान क्रांतिकारी उधम सिंह के क्रन्तिकारी जीवन के बारे में जानते है। 



       शहीदो की चिताओ पर लगेंगे  हर वर्ष  युही मेले , 
                      

    वतन पर मर मिटने वालो का बाकी  यही निसा होगा 



शहीद उधम सिंह जिनके बचपन का नाम शेर सिंह था। इनका जन्म 26 दिसंबर ,1899 में पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम में हुआ था।  उनके पिताजी श्री टहल सिंह कम्बोज रेलवे में वॉचमन थे।  उधम सिंह का एक बड़ा भाई मुक्ता सिंह था। शहीद  उधम सिंह का जीवन बहुत कठिनाईओं में गुजरा।  सन 1901 में उधम सिंह की माता और 1907 में उनके पिताजी का निधन हो गया। इसके बाद दोनों भाइयों ने एक अनाथालय में शरण ली। वहां पर दोनों भाइयों को नए नाम मिले शेर सिंह को उधम सिंह और मुक्ता  सिंह को  साधु  सिंह। आगे चलकर  सन 1917 में उनके बड़े भाई साधु सिंह (मुक्ता सिंह ) का देहांत हो गया। अब उधम सिंह पूरी तरह से अनाथ हो गया था।  बड़े भाई के देहांत के बाद उधम सिंह ने अनाथलय छोड़ दिया और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर देश की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए। अनाथ होने के बावजूद उधम सिंह जी विचलित नहीं हुए। इसी दौरान उनका संपर्क भगत सिंह और दूसरे क्रांतिकारों से हुआ। क्रन्तिकारी  गतिविधियों के कारन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर  लिया ओर उधम सिंह चार सालों तक जेल में ब्रिटिश हुकूमत की यातनाये सहते रहे।  तब उनहोंने  अमृतसर में ही एक लकड़ी की दुकान शुरू की ओर अपना नाम राम मोहमद सिंह आजाद रख लिया। यह नाम उधम सिंह ने इसलिए रखा क्युकी इस नाम में सभी धर्मो के नाम समाहित थे। 

जलिया वाला बाग हत्याकांड 
भारत में रोलट एक्ट की वापसी के लिए 6 अप्रैल ,1919 को एक विषेस दिवस के रूप में मनाया गया व् सभी समुदायों के लोगो ने रामनवमी का त्यौहार राष्ट्रीय एकता पर्व के रूप में मनाया। यह सब देखकर ब्रिटिश सरकार  बोखला गयी।  10 अप्रैल को अंग्रेजो ने डॉ. सचिआनंद और डॉ किचलू को गिरफ्तार कर लिया गया।  उनकी गिरफ्तारी पर लोगो ने ब्रिटिश सरकार  के खिलाफ शांतिपूर्वक झुलुस निकाला  पर अंग्रेजो को ये भी रास न आया और उन पर गोलियां चला दी जिसमे बीस लोग मारे  गए और कई लोग घायल हो गए।  इस पर जनता ओर भी भड़क गयी और लूट-पाट ,तोड़-फोड़ और आगजनी जैसी घटनाये शुरू करदी। जो भी अंग्रेज रास्ते  में आया मार  दिया गया।  इससे अंग्रेजी सरकार  हिल गयी।  इस पर ब्रिटिश सरकार  ने 144 धारा  लगा दी।  11 व् 12 अप्रैल को सारा शहर बंद रहा। ब्रिटिश सरकार  के कानूनों का विरोध करने के लिए 19 अप्रैल , 1919 को जलिया वाला बाग़ में एक सभा का आयोजन किया जिसमे बहुत संख्या में बच्चे ,महिलाये भी शामिल थी।  यह देखकर ब्रिटिश सरकार ने जनरल डायर को वहां भेजा। जनरल डायर सेना और हथयारों के साथ वहां पहुंचा। डायर ने वहां पहुंच कर प्रवेश द्वार और सभी द्वार जिनसे बाहर  निकला जा सके सबको बंद कर  दिया और अचानक निहथे लोगो पर गोलियां चलानी शुरू करदी। इससे लोगो में भगदड़ मच गयी।  कुछ लोग गोलियों से मर गए और कुछ भगदड़ में मर गए।  कुछ लोगो ने  बचने के लिए कुए में कूद कर  अपनी जान दे दी।  इस भीड़ में हजारो बच्चे  और महिलाये भी मारी  गयी। उस समय उधम सिंह बाग  में अपने दूसरे साथियों के साथ पानी पिलाने की  सेवा  कर रहा था। इस घटना ने उधम सिंह के दिल में एक गहरा घाव कर दिया और उसने खून से रंगी मिटी को  माथे से लगाकर बदला लेने की कसम खाई।  इसके पश्चात जनरल  डायर वापस लन्दन चला गया और यहां से उधम सिंह का डायर से बदला लेने का मिशन शुरू  हो जाता है। 

उधम सिंह का जनरल डायर से बदला 

                  उधम सिंह के दिल में बदले की आग जल रही थी। इसके बाद उधम सिंह किसी तरह कई देशो से होता हुआ लन्दन पहुंचा।  वहा वह इंडिया हाउस में रहने लगा।  वह वहां इसलिए ठहरा  ताकि जनरल डायर  का पता लगा सके।  आख़िरकार  13 मार्च ,1940 को उधम सिंह को वह अवसर मिला जिससे वह अपनी भारत माता के अपमान का बदला ले सके। 13 मार्च को रॉयल सेंट्रल एशियाई सोसाइटी की लन्दन के कॉक्सटन हॉल में बैठक थी जिसमे माइकल डायर  भी मौजूद थे।  उधम सिंह भी उस दिन उस बैठक में पहुंच गया और रिवाल्वर को पुस्तक के पन्नो में छिपा ली। पुस्तक के पन्नो को इस तरह से काटा की उसके अंदर रिवाल्वर आसानी से छिप सके। 
दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने जनरल डायर पर गोलियां चला दी। दो गोलियां डायर  को लगी जिससे जनरल डायर मारा गया। उधम सिंह ने वहां से भागने की बजाए निडर हो कर वहां खड़ा होकर अपनी गिरफ्तारी देदी।  फिर उन पर मुकदमा चला और 4 जून , 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुना दी गयी। 
   

भारत के इस महान सपुत , महान क्रन्तिकारी ने बड़े गर्व और शान से कहा कि -- मुझे मौत की सजा की कोई परवाह नहीं है क्योंकि मेने भारतमाता के अपमान का बदला ले लिया है ओर 31 जुलाई ,1940 को पेंटनविले जेल  (लन्दन ) में हस्ते -हस्ते फांसी पर  झूल गया। ऐसे क्रन्तिकारी शहीद उधम सिंह को सत -सत  नमन। 


ये थी हमारे शहीद उधम सिंह की गौरव गाथा। अगर दोस्तों हमारे अंदर थोड़ी सी भी देशभगति बची है तो इसे शेयर करे। 
धन्यवाद। 
कुलबीर सिंह  





Thursday, July 26, 2018

मुग़ल साम्राज्य या मुग़ल वंश ,मुग़ल वंश के साशक

मुग़ल साम्राज्य या मुग़ल वंश
मुग़ल वंश के साशक :- 
  1. बाबर 
  2. हुमायूँ 
  3. अकबर 
  4. जहांगीर 
  5. ओरंगजेब 
1.  बाबर (1526 -1530 ) :- 
  • भारत में मुग़ल साम्राज्य की नीव बाबर ने रखी  थी।  
  • बाबर का पूरा नाम जहीरुद्दीन मुहमद बाबर था। 
  •  बाबर का जन्म 14 फरवरी , 1483 ई. में फरगना (अफगानिस्तान ) में हुआ था।        
  • बाबर के पिता उमरशेख मिर्जा  जो फरगना के शासक थे।  
  • माता - कुतलुग निग़ार ख़ानम
  • बाबर के पिता की मृत्यु के पश्चात 12 वर्ष की आयु में वह फरगना का सुल्तान बना ।  
इसके बाद बाबर को दौलत खान लोधी (सूबेदार ऑफ़ पंजाब ), आलम खान (इब्राहिम लोधी के चाचा जी ) और राणा सांघा (मेवाड़ के राजा ) तीनो ने मिलकर बाबर को भारत पर आक्रमण के लिए बुलाया। बाबर ने भारत आने के बाद बहुत सी लड़ाईआं लड़ी।

  1. पानीपत की लड़ाई (1526 ईस्वी में ) - पानीपत की लड़ाई बाबर और दिल्ली के शासक इब्राहिम लोधी के बीच हुई।  इस युद्ध में बाबर ने इब्राहिम लोधी को हरा दिया और भारत में मुग़ल साम्राज्य की नीव रखी।
  2. खानवा की लड़ाई (1527 ईस्वी में ) - खानवा की लड़ाई बाबर और मेवाड़ के राजा राणा सांघा  के बीच हुई जिसमे बाबर ने राणा सांघा  को खानवा में हरा दिया। 
  3. चंदेरी का लड़ाई  (1528 ईस्वी में ) -  चंदेरी की लड़ाई बाबर और मेदनी राय  के बीच हुई।  इस युद्ध में भी बाबर विजय रहा। 
  4. घागरा का युद्ध (1529 ईस्वी में ) - घाघरा का युद्ध बाबर और अफगानी जो बिहार और बंगाल में राज करते थे के बीच हुआ।  बाबर ने अफगानी शासको को भी हरा दिया। 
महत्वपूर्ण :- 
  •  बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजक - ऐ - बाबरी  तुर्की भाषा में लिखी।  
  •  26 दिसंबर ,1530 ईस्वी को  बाबर मर गया और उसे पहले आगरा के आराम बाघ में दफनाया गया फिर उसे वहां से निकल कर काबुल में दफनाया गया।  
  • बाबर पहले मुग़ल शासक थे जिन्हे दो बार दफनाया गया था।  
  • बाबर का पुत्र हुमायु था जो बाबर की मृत्यु के पश्चात् दिल्ली की गद्दी पर बैठा। 
2. हुमायूँ (1530 -40 और 1555 - 56 ) :-
  • हुमायूँ मुग़ल साम्राज्य का दूसरा साशक था। हुमायूँ का पूरा नाम नसीरुद्दीन हुमायूँ था।  
  • उसका  का जन्म  17 मार्च , 1508 को काबुल में हुआ। 
  • उसके  के तीन भाई कामरान , हिन्दाल , अस्करी और एक सौतेली  बहिन गुलबदन बेगम थी। 
  • उसके  पिता का नाम  बाबर था। 
  • हुमायूँ अफीम का नशा करता था।  
  • हुमायूँ 1530 में बाबर की मृत्यु के बाद गद्धी पर बैठा। 
  • उसने  गद्दी पर बैठने के बाद सारा  साम्राज्य  अपने भाइयो में बाट  दिया था। 
  • वह ज्योतिषी में बहुत विश्वास रखता था इसलिए वह  सातों दिन सात रंग के कपडे पहनता था। 
  • हुमायूँ के आगरा जितने पर बाबर ने उसे कोहिनूर हीरा उसे सोप दिया। 
  • 1541 में हमीदा बनो बेगम के साथ हुमायूँ का विवाह हुआ। 
हुमायूँ के दवारा लड़ी गयी लड़ाईयां 
  1.   चौसा की लड़ाई (1539 )- चौसा की लड़ाई हुमायूँ और शेर सहा  सूरी के बीच हुई जिसमे हुमायूँ पराजित हो गया था।  
  2.  कन्नौज की लड़ाई (1540 ) - कन्नौज की लड़ाई पुन: हुमायूँ और शेर शाह सूरी के बीच हुई जिसमे हुमायूँ फिर पराजित हो गया। इसे बिलग्राम की लड़ाई भी कहते है। 
  3.  1555 में हुमायूँ ने शेर शाह सूरी के बेटे से युद्ध करके    दुबारा मुग़ल साम्राज्य की नीव रखी।  
महत्वपूर्ण :- 
  • 1533 में हुमायूँ ने दिन- ए -पनाह बनवाया। 
  • उसका मकबरा दिल्ली  में बनवाया गया था। 
  • उसने एक लाइब्रेरी सेरमण्डल (दिल्ली ) का निर्माण करवाया। 
  • हुमायूँनामा , हुमायूँ की बहिन गुलबदन बानो बेगम के द्वारा लिखी गयी थी।  यह फारसी भाषा में लिखी गयी थी।  
  • बाबर की मृत्यु 1553 में शेरमंडल की सीढ़ियों से गिरकर हो गयी थी। 
  • इतिहासकार हुमायूँ के बारे में बताते है की वह लड़खड़ाते हुए पैदा हुआ और लड़खड़ाते हुए ही मर गए। 
 शेर शाह सूरी (1540 -45 ) : -
         
  • शेर शाह सूरी का असली नाम फरीद खान  था जिसका जन्म 1472 ईस्वी में रोहताश जिले के सासाराम में हुआ था। 
  • बचपन में  फरीद ने एक शेर को मार दिया था इसी वजह से बहार  खान नूहानी   ने उसे शेर खान की उपाधि दी थी 
  • इनके पिता मियन हसन खान सुर थे। 
  • 1539 में चौसा की लड़ाई और 1540 ईस्वी में कन्नौज की लड़ाई शेर शाह और हुमायूँ के बीच हुई थी जिसमे शेर शाह सूरी ने हुमायूँ को पराजित कर  दिया था। 
  • शेर शाह सूरी भारत में सबसे पहले (रुपया )चांदी  के सिक्के चलाने वाला प्रथम शाशक था और अपने नाम के भी सिक्के भी चलाये। 
  • ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण करवाया जो उस समय सड़क बाद्शाई के नाम से जानी  जाता  था और रोहताश किले का भी निर्माण करवाया था। 
  • 1545 ईस्वी में शेर शाह सूरी ने बुन्देलखं में कालिंजर के मजबूत किले को  घेरा था।  वहां बारूद के फटने से अचानक उनकी मृत्यु हो गयी। 
  • शेर शाह सूरी का मकबरा सासाराम (बिहार ) में शेर शाह सूरी के मकबरे  के नाम से विख्यात है। 
  • उनके बाद उनका पुत्र जलाल खान (इस्लाम शाह सूरी ) गद्दी पर बैठा। 
3.  अकबर (1556 - 1605 ) :-
  •  अकबर का पूरा नाम जलाल उद्दीन मोहमद अकबर था। 
  • उसका जन्म  15 अक्टूबर , 1542 में हुआ था। 
  • बाबर के पिता हुमायूँ और माता हमीदा बानम बेगम साहिबा थी। 
  • अकबर के बचपन का नाम बदरूदीन था। 
  • अकबर अनपढ़ था। 
  • अकबर 15 वर्ष की उम्र में 1556 में गद्दी पर बैठा और बैरम खान को अपना अंगरक्षक  बनाया। 
  • अकबर ने 1556 ईस्वी में पानीपत के द्वितीय युद्ध में हेमू को पराजित क़र  दिया। 
  • 1562  ईस्वी में अकबर ने दास प्रथा  को समाप्त किया। 
  • 1563 ईस्वी में तीर्थ कर को समाप्त किया। 
  • 1564 ईस्वी में अकबर ने जजिया कर समाप्त किया जिसे फिरोज शाह तुगलक ने सबसे पहले ब्राह्मणो पर लगाया था।  
  • 1572 ईस्वी में गुजरात  पर विजय  प्राप्त करने के बाद अकबर ने फतेपुर सिकरी (उतर प्रदेश ) नामक  नगर की स्थापना की जिसमे प्रवेश के लिए बुलंद दरवाजा बनवाया। 
  • बुलंद दरवाजा विश्व का सबसे बड़ा दरवाजा है जिसकी ऊंचाई 54 मीटर है। 
  • अकबर ने रेवाड़ी में लाल मस्जिद का निर्माण करवाया। 
  • 1576 ईस्वी में हल्दी घाटी का युद्ध अकबर के सेनापति राजा मान सिंह और  मेवाड़ के महाराणा प्रताप  के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में महाराणा प्रताप पराजित हो गए थे। 
  • अकबर ने 1582 में दिन - ए  -इलाही  नामक धर्म की स्थापना की। 
  • दिन - ए  -इलाही धरम को स्वीकार करने वाला  प्रथम और आखिरी हिन्दू बीरबल था। 
  • अकबरनामा और आईने अकबरी की रचना अबुल फजल ने की थी। 
  • अकबर ने महाभारत का फारसी भाषा में रज्जा नाम से अनुवाद किया। 
  • अकबर के दरबार में नौ बुद्धिमान , गुणकारी दरबारी रहते थे जिन्हे अकबर के नवरतन के नाम से जाना जाता था। 
  1. अबुल फजल 
  2. फैजी 
  3. तानसेन 
  4. बीरबल 
  5. टोडरमल 
  6. राजा मान सिंह 
  7. अब्दुल रहीम खान ए  खाना - बैरम खान का पुत्र 
  8. फकीर अजियो  दिन 
  9. मुल्हा दो प्याजा 
  • 1605 ईस्वी में अकबर की मृत्यु हो गयी। 
  • अकबर के मकबरे का निर्माण जहांगीर ने करवाया। अकबर का मकबरा उतर प्रदेश में आगरा के  सिकंदरा में है। 
4. जहांगीर (1605 -1627 ) 
  • जहांगीर का वास्तविक नाम सलीम था। 
  • जहाँगीर का पूरा नाम नूरुद्दीन मुहमद जहांगीर था। 
  • जहांगीर के पिता अकबर और मरयम उज जमानी  उनकी माता थी। 
  • 24 अक्टूबर ,1605 में जहांगीर का आगरा में राजतिलक किया गया। 
  • जहांगीर के पहेली पत्नी मान बाई थी। 
  • खुसरो जहांगीर का बड़ा बेटा था। 
  • सिखों के पांचवे गुरु अर्जुन देव जी को खुसरो की मदद करने पर जहांगीर ने उनकी हत्या करदी थी। 
  • 1611 में जहांगीर ने नूरजहां के साथ विवाह किया जो एक शेर अफगान की विधवा थी। 
  • दो मुग़ल साशक बाबर और जहांगीर ने अपनी आत्मकथा लिखी थी।  
  • जहांगीर ने तुजक ए जहांगीरी नामक आतमकथा लिखी थी। 
  • इसी के कल में चित्रकला का विकास हुआ था। 
  • इसने आगरा में यमुना के किनारे न्याय की जंजीरे लगवाई। 
  • कश्मीर में शालीमार बाघ का निर्माण जहांगीर के समय में  हुआ था। 
  • तुलसी दास ने रामचरित मानस की रचना अवधि भाषा में जहांगीर के ही काल  में की थी। 
  • जहांगीर की शराब पीने के कारण 28 अक्टूबर , 1627 में कश्मीर से वापस आते समय भीमवार नामक स्थान पर निधन हो गया था। 
  • उन्हें लाहौर के सहादरा में रवि नदी के किनारे दफनाया गया था। 
  • जहांगीर के  समय को चित्रकला का स्वर्णकाल कहा जाता है। 
5. शाहजहां (1628 -1658 )
  •   शाहजहाँ का जन्म 5 जनवरी , 1592 को लाहौर में हुआ और साहजहाँ के बचपन का नाम खुर्रम था। 
  • शाहजहां के पिता जहांगीर थे 
  • शाहजहां के काल को स्थापत्य का सवर्ण काल कहां गया। 
  • शाहजहां का विवाह अरुजमन  बनो बेगम के साथ 1612 ईस्वी में हुआ और  इसे मुमताज  महल भी कहा जाता है। 
  • मुमताज महल की मृत्यु 1629 ईस्वी में  अपनी 14वी संतान को जन्म  देते समय हो गयी थी। 
  • मुमताज की याद में शाहजहां ने मुमताज महल बनाया जिसे आज लोग ताजमहल के नाम से जानते है। 
  • ताजमहल का निर्माण 1632 ईस्वी में सुरु हुआ और 1653ईस्वी के आसपास मुमताज महल का काम  पूरा हुआ था। 
  • ताजमहल का मुख्य वास्तुकार इस्ताद ईशा खान थे। 
  • ताजमहल के संगमरमर को शाहजहां ने राजस्थान के मकराना से मंगाया था। 
  • 1638 ईस्वी में शाहजहां ने आगरा से दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया। 
  • दिल्ली का नाम शाहजहांनाबाद  रखा और दिल्ली में ही लाल किले का निर्माण शाहजहां ने करवाया था। 
  •  दिल्ली के लाल किले का मुख्य वास्तुकार हामिद अहमद था। 
  • शाहजहां ने 1638 ईस्वी में दिल्ली में जमा मस्जिद का निर्माण करवाया। 
  • शाहजहां ने आगरा के किले में मोती मस्जिद का निर्माण करवाया। 
  • शाहजहां ने अपने लिए एक मयूर सिहांसन का निर्माण करवाया जिसके अंदर कोहिनूर हीरा लगा हुआ था। 
  • शाहजहां ने कोहिनूर हीरे को गोलकुंडा खान से मंगवाया था। 
  • शाहजहां की मृत्यु 1666 में हुई थी और शाहजहां को भी ताजमहल में दफनाया गया था। 
6. औरंगजेब (1658 -1707 )
  •  औरंगजेब का पूरा नाम अबुल मुज्जफर मुहिदीन मुहम्द औरंगजेब आलमगीर था। 
  •  औरंगजेब का जन्म गुजरात के दाहोद में हुआ था। 
  • औरंगजेब  शाहजहां और मुमताज महल  के तीसरे नंबर के पुत्र थे। 
  • 1637 ईस्वी में औरंगजेब का विवाह दिलरास बानो बेगम के साथ हुआ 
  • दिलरास बानो बेगम को राबिया बीबी भी कहा गया है। 
  • औरंगाबाद (महाराष्ट्र ) की स्थापना औरंगजेब ने की थी। 
  • औरंगजेब ने बीबी का मकबरा भी बनवाया जो कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद में है और जिसे दक्षिण भारत का ताज महल कहते है। 
  • दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद का निर्माण करवाया। 
  • औरंगजेब ने अपने आप को आलमगीर की उपाधि दी थी। 
  • औरंगजेब को जिन्दा पीर के नाम से भी जाना जाता था और साह ए दरवेश भी कहा गया।  
  •  1658 ईस्वी में औरंगजेब गद्दी पर बैठा। 
  • 1675 ईस्वी में गुरु तेग बहादुर (सिखो के नौवें गुरु ) को औरंगजेब ने इस्लाम धर्म कबूल  न करने के कारण  उनकी हत्या कर दी गयी। 
  • 1679 ईस्वी में औरंगजेब ने फिर से ब्राम्हणो पर जजिया कर लगा दिया जिसे सबसे पहले फिरोज साह तुगलक ने लगाया था और फिर अकबर ने उसे ख़तम कर दिया था। 
  • शिवाजी  औरंगजेब  के काल में बहुत प्रशिद्ध था। 
  • शिवाजी  मराठो का मुखिया था और छापामार युद्ध में निपुण था। 
  • औरंगजेब ने शिवाजी को पहाड़ी चुआ कहा है। 
  • पुरन्दर की संधि -- औरंगजेब ने राजपूत जयसिंह को शिवाजी के पास भेजा।  तब 1665 ईस्वी में  शिवाजी  और जयसिंह के बीच एक संधि हुई जिसे पुरन्दर की संधि कहते है। 
  • इसके बाद शिवाजी को धोके से कैद कर लिया गया और इसके चार दिन बाद शिवाजी एक टोकरी में छुपकर भाग गया। 
  • शिवाजी के मंत्रिपरिषद को अष्ट प्रधान कहा जाता है। 
  • पेशवा अष्ट प्रधानो में से वरिस्ट था। 
  • बालाजी विशवनाथ  पहला पेशवा था। 
  • पेशवा बालाजी बाजीराव को नाना साहेब कहा गया है। 
  • सिखों  ने गुरु तेग बहादुर की याद में दिल्ली में शीशगंज गुरुद्वारा बनवाया। 
  • 1707 ईस्वी में औरंगजेब की  मृत्यु हुई। 
  • औरंगजेब का मकबरा दौलताबाद (कर्नाटका ) में है। 
7. बहादुर साह प्रथम (1707-1712 )
  • बहादुर साह प्रथम का पूरा नाम कुतुबदीन मुहमद मुआजम था  और इनका जन्म 1643 ईस्वी में हुआ था। 
  • बहादुर  साह प्रथम औरंगजेव का दूसरा पुत्र और सातवा मुग़लबादशाह  था। 
  • 1707 ईस्वी में गद्दी पर बैठा। 
  • इनको साहआलम प्रथम और  आलम साह प्रथम के नाम से भी जाना जाता था। 
  • इनको साह -ए -बेखबर भी कहा जाता था। 
  • बहादुर साह ने साहू जी (शम्भा जी का लड़का ) को रिहा कर दिया था। 
  • 1712 ईस्वी में बहादुर सहा प्रथम की मृत्यु हो गयी। 
8. जहांदार साह (1712-1713 )
  • बहादुर साह का बड़ा पुत्र जहांदार साह का जन्म 1661 ईस्वी में हुआ। 
  • जहांदार साह को लम्पट मुर्ख उपाधि दी। 
  • जहांदार साह ने जयसिंह को सवाई मिर्जा राजा की उपाधि दी। 
  • राजा जयसिंह आमेर का राजा था  जिसने जयपुर शहर को बसाया था। 
  • मारवाड़ के अजित सिंह को महाराजा की उपाधि दी। 
  • जजिया कर को भी समाप्त कर दिया था। 
  • उसके दरबार में लाल कुंवारी निर्तिका थी। 
  • सैयद बंधुओ की सहायता से फरुख्शिअर ने जहांदार साह को मर दिया। 
 9. फरुख्शियर (1713-1719 )
  • सैय्यद बंधुओ की सहायता से फरुख्शियर राजा बना। 
  • सैय्यद बंधुओ को नृप निर्माता कहा जाता था। 
  • फरुख्शियर को घृणित कायर की उपाधि दी गयी थी। 
  • 1717 ईस्वी में अंग्रेजो को दस्तक पास (अंग्रेजो को टैक्स फ्री व्यपार करने की आजादी ) दिया 
  • 1718 ईस्वी में मराठो के साथ दिल्ली की संधि की। 
10. मुहमद सहा रंगीला (1719 -1748 )
  • 13 फरवरी ,1739 में करनाल की लड़ाई हुई जो नादिर शाह और मुहमद साह के बीच हुई थी। इस लड़ाई में नादिर शाह विजय रहा था। 
  • नादिर शाह ईरान से आया था और उसे ईरान का नेपोलियन भी कहते है। 
  • नादिर शाह ने दिल्ली लूट कर वहा  से तकते -ए - हाउस , मयूर सिंहासन (कोहिनूर हीरा ) को ले गया। 
  • मयूर सिंघासन पर बैठने वालो आखरी मुग़ल मुहमद शाह रंगीला था। 
11. आलमगिर द्वित्य (1754 -1759 )
  •  1757 ईस्वी  में प्लासी की लड़ाई हुई। 
  • प्लासी की लड़ाई सिराजुद्दोला और अंग्रेजो के बीच हुई जिसमे सिराजुद्दोला हार गया था और अंग्रेज जीत गए थे। 
12. साह आलम द्वितीय (1759 -1806 )
  • मीर जाफर को कलाइव का गधा कहा जाता है। 
  • 1764 ईस्वी में बक्शर की लड़ाई मीर कासिम , सुजाउद्दौला (अवध का नवाब ) और अंग्रेजो के बीच हुई थी। इस लड़ाई में अंग्रेज जीत गए थे। 
  • 1765 ईस्वी में इलाहबाद की संधि हुई जो सहा आलम  द्वितीय और रोबर्ट क्लाइव के बीच हुई थी। 
13. अकबर साह  द्वितीय (1806-1837 )
  • अकबर साह द्वितीय ने राजा राम मोहन राय को राजा की उपाधि दी थी। 
14. बहादुर साह  जफ़र (1837 -1857 )
  • बहादुर साह जफ़र आखरी मुग़ल बादशाह और अंतिम मुग़ल सहनशा जिसने 1857 की क्रांति में भाग लिया था। 
  • एक मात्र मुग़ल बादशाह जिन्हे नेता चुना गया था।  
  • बहादुर साह  जफ़र बहुत शायरी करता था। 
  • अंग्रेजो ने  बहादुर साह को कैद करके रंगून भेज दिया।
  • रंगून में 1862 ईस्वी में बहादुर शाह जफ़र की मृत्यु हो गयी थी। 

      


                 

Monday, July 23, 2018

23 July 2018 current affairs

नमस्कार दोस्तों , दोस्तों आप सब जानते हो की रेलवे ग्रुप डी का एग्जाम अगस्त या सितम्बर में होने की सम्भावना है तो हमे पता है की रेलवे एग्जाम में सबसे ज्यादा साइंस और करंट अफेयर्स आने वाली है इसीलिए मेने सोचा की रोजाना मै  आपको करंट अफेयर्स उपलब्ध करवाऊ और जब तक एग्जाम आये तब तक आपकी अच्छी  तैयारी हो जाये।  तो मेरे दोस्तों आज से हम शुरु  करते है।



प्रशन - 1 हाल ही में जूनियर एशियन चैम्पियनशिप बैडमिंटन में भारत से सवर्ण पदक किसने जीता है ?
उत्तर -   लक्ष्य सेन (अल्मोड़ा उत्तराखंड से )
          -  इनसे पहले गौतम ठकर (1965 ) और पी. वी. सिंधु ( 2012 ) ने ये ख़िताब जीता था।

         -      पी. वी. सिंधु  ( Pusarla Venkata Sindhu )
प्रशन - 2  SAI  ने खेलो इंडिया के तहत कितने युआवो  का चयन किया है ?
उत्तर -     734
          -     SAI  का पूरा नाम  -- सपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया
          -     हेड क्वार्टर -- नई दिल्ली में
प्रशन - 3   किस मंदिर को ISO प्रमाण  पत्र  प्राप्त हुआ है ?
उत्तर -      यादगिरिगुटा (तेलंगाना )
          -     तेलगाना की राजधानी -- हैदराबाद
                 मुख्यमंत्री - के. चन्दरशेखर राव
प्रशन - 4   पाठ्य  पुस्तक में QR कोड की  शुरुआत किसने की है ?
उत्तर -     NCERT (National council of educational research and training )
                NCERT की स्थापना - 1960  में
प्रशन - 5   TRAI का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर -     Telecom Regulatory Authority of Inida
प्रशन - 6   सेरामिक्स त्रिवार्षिक का आयोजन खान होगा ?
उठते -      जयपुर।
प्रशन - 7   ओलिंपिक और पर ओलम्पिक के शुभंकर का अनावरण कहाँ  किया गया है ?
उत्तर -     जापान में।




 19 मार्च , 2025  राम राम मेरे सभी दोस्तों को , आज इन्टरनेट का जमाना है बच्चा बच्चा जानता है इन्टनेट चलाना ऑनलाइन पेमेंट कैसे करते है ऑनलाइन...