Thursday, May 17, 2018

जानिए भारत का प्रथम महान्यायवादी कौन था

                         

   महान्यायवादी कौन  होता है 


  महान्यायवादी को AGI (Attorney General of India) भी कहते है।  महान्यायवादी भारत सरकार  का क़ानूनी सलाहकार होता है।  यह भारत सरकार  का कानून का सबसे बड़ा अधिकारी होता है। उन्हें सविधान के अनुछेद - 76 (1 )  के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। इस पद पर उस व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है जो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायधीश बनने की योग्यता रखता हो।  महान्यायवादी को सहायता देने के लिए एक सोलिस्टर जनरल और दो अतिरिक्त सोलिस्टर जनरल नियुक्त किये जाते है। 


                                    कार्यकाल 

     इनका  कार्यकाल  राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत  होता है अर्ताथ राष्ट्रपति पर निर्भर करता है। सविधान में भी इनके कार्यकाल के बारे में उल्लेख नहीं है।  


                                त्यागपत्र 
         ये अपना  त्यागपत्र  राष्ट्रपति को देता है
                                             
               महान्यायवादी के कार्य और मर्यादाये 


  1.  महान्यायवादी किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है।  परन्तु वह किसी भी सदन में अथवा उनकी समितियों में भाग ले सकता है।  ( अनु. -88 )
  2.  इनको मत देने का अधिकार नहीं होता है।  
  3.  राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए क़ानूनी मामलो में भारत   सरकार  को सलाह देना।  
  4.  भारत के किसी भी राज्य  के नयालयो में भाग ले   सकता है। 
  5.  रीटायर्मेंट के बाद वो किसी भी हाई कोर्ट में वकील   के रूप में कार्य नहीं क़र  सकते है।  

भारत  का प्रथम महान्यायवादी 





एम. सी. शीतलवाड़ 
कार्यकाल - 1950 से 1963 तक 
जन्म - 12 नवम्बर , 1884 (अहमदाबाद ) में 
एम. सी. शीतलवाड़  भारत के सबसे पहले और सबसे लम्बे समय तक सेवा करने वाले महान्यायवादी थे।  



भारत का वर्तमान महान्यायवादी


के. के. वेणुगोपाल 
पूरा नाम - कोट्ट्यान कंटकोत वेणुगोपाल 
कार्यकाल - 30 जून , 2017 से अब तक 
नोट - राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा नियुक्त किये गए है।  










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